Monday, January 26, 2009

जय हिंद, जय भारत


26 जनवरी को हमने एक बार फिर गणतंत्र की नींव रखी थी, जिसकी शुरुआत कभी बिहार के वर्तमान वैशाली में हुई थी, जहाँ पैदा हुआ था विश्व का सबसे पहला लोकतंत्र ...
कहने को तो बहुत कुछ है पर इतना तो जरूर कहना चाहेंगे हम कि पूरे विश्व को जिस मिट्टी ने लोकतंत्र का पाठ पढाया वहां की एक निष्पक्ष विवेचना जरूर हो कि उस जगह पर अब लोकतंत्र की हालत कैसी है .... कहीं ऐसा तो नहीं कि हम लोकतंत्र गढ़ते तो जरूर हैं मगर उसकी देखभाल के लिए उसके नागरिकों में जिस जीवन्तता की जरूरत होती है वो कहीं ना कहीं खो जाती है...
आज दिन है उसी जोश को बनाये रखने का जब हमने प्रथम गणतंत्र गढा था ....
अशोक कुमार ओझा, बिहारशरीफ, बिहार

Monday, January 5, 2009

ऐसे लोगों पर हमें गर्व है

फर्रूखनगर के सुबोध गुप्ता के परिवार के लिए नववर्ष शुभ तो नहीं रहा चूँकि सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल होने के बाद डॉक्टर उन्हें बचा नहीं सके। दरअसल गत 25 दिसम्बर को अपनी पत्नी स्नेह गुप्ता को जब आई एस बी टी से छोड़कर वापस घर जा रहे थे तब उनकी कार एक ट्रैक्टर से टकरा गयी। चार दिनों तक एम्स के ट्रौमा सेंटर में जीवन मौत से जूझते सुबोध गुप्ता को ईश्वर ने अंततः अपने पास बुला लिया।
उनकी मौत से उनके परिवार पर मानो कहर टूट पड़ा। दुःख की घड़ी में भी उनकी पत्नी स्नेह गुप्ता तथा उनके जेठ विनोद गुप्ता ने सुबोध की आँखें, गुर्दे तथा जिगर को किसी जरूरतमंद को दान करने का अत्यन्त साहसिक निर्णय लिया। डॉक्टर भी उनके इस कदम की प्रशंसा किए बिना नहीं रह सके। स्नेह गुप्ता पेशे से शिक्षक हैं और उनके ससुर राजकुमार गुप्ता भी अध्यापक थे जो अब रिटायर्ड हो चुके हैं।
स्नेह गुप्ता जी और उनके परिवार ने हम सभी शिक्षकों का सर गर्व से ऊँचा कर दिया है।
हम शिक्षकों को ऐसी ही मिसाल समाज में कायम करनी चाहिए.....
सौजन्य-रीना डंडरियाल, गुडगाँव, हरियाणा