Monday, November 17, 2008

भीड़ में आन्दोलन पैदा नहीं होते

परिवर्तन के आन्दोलन की किसी भी शुरुआत के लिए, जो वास्तव में सृजन का क्षण होता है, गहरे जल में इस आस्था के साथ छलाँग लगानी पड़ती है कि कहीं न कहीं तो पैर टिकाने के लिए जमीन मिल ही जायेगी। दुनिया के महान आन्दोलनों का जन्म कहीं किसी छोटे से कमरे या कोने में बैठे दो चार व्यक्तियों के प्रयास से हुआ है। भीड़ में आन्दोलन पैदा नहीं होते। कुछ व्यक्तियों को ही अज्ञात गहराई में छलाँग लगानी पड़ती है।
सौजन्य-मस्तराम कपूर (प्रसिद्ध समाजवादी लेखक)

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