Monday, January 5, 2009

ऐसे लोगों पर हमें गर्व है

फर्रूखनगर के सुबोध गुप्ता के परिवार के लिए नववर्ष शुभ तो नहीं रहा चूँकि सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल होने के बाद डॉक्टर उन्हें बचा नहीं सके। दरअसल गत 25 दिसम्बर को अपनी पत्नी स्नेह गुप्ता को जब आई एस बी टी से छोड़कर वापस घर जा रहे थे तब उनकी कार एक ट्रैक्टर से टकरा गयी। चार दिनों तक एम्स के ट्रौमा सेंटर में जीवन मौत से जूझते सुबोध गुप्ता को ईश्वर ने अंततः अपने पास बुला लिया।
उनकी मौत से उनके परिवार पर मानो कहर टूट पड़ा। दुःख की घड़ी में भी उनकी पत्नी स्नेह गुप्ता तथा उनके जेठ विनोद गुप्ता ने सुबोध की आँखें, गुर्दे तथा जिगर को किसी जरूरतमंद को दान करने का अत्यन्त साहसिक निर्णय लिया। डॉक्टर भी उनके इस कदम की प्रशंसा किए बिना नहीं रह सके। स्नेह गुप्ता पेशे से शिक्षक हैं और उनके ससुर राजकुमार गुप्ता भी अध्यापक थे जो अब रिटायर्ड हो चुके हैं।
स्नेह गुप्ता जी और उनके परिवार ने हम सभी शिक्षकों का सर गर्व से ऊँचा कर दिया है।
हम शिक्षकों को ऐसी ही मिसाल समाज में कायम करनी चाहिए.....
सौजन्य-रीना डंडरियाल, गुडगाँव, हरियाणा

2 comments:

NARESH CHANDRA said...

Today I was just visiting the web pages. Suddenly I saw the post. We appreciate and salute the feeling and courage shown by a teacher family. They have shown that the teacher is not only limited within the four walls of the class room but a human being for a noble cause outside these walls also. Once again we salute the courage of the brave family.

sadhana dandriyal said...

I have gone through the report published in the blog. Reena has done a good job to bring this courageous deed of a teacher family to the readers. Hope this work of the teachers family will inspire others too.