26 जनवरी को हमने एक बार फिर गणतंत्र की नींव रखी थी, जिसकी शुरुआत कभी बिहार के वर्तमान वैशाली में हुई थी, जहाँ पैदा हुआ था विश्व का सबसे पहला लोकतंत्र ...
कहने को तो बहुत कुछ है पर इतना तो जरूर कहना चाहेंगे हम कि पूरे विश्व को जिस मिट्टी ने लोकतंत्र का पाठ पढाया वहां की एक निष्पक्ष विवेचना जरूर हो कि उस जगह पर अब लोकतंत्र की हालत कैसी है .... कहीं ऐसा तो नहीं कि हम लोकतंत्र गढ़ते तो जरूर हैं मगर उसकी देखभाल के लिए उसके नागरिकों में जिस जीवन्तता की जरूरत होती है वो कहीं ना कहीं खो जाती है...
कहने को तो बहुत कुछ है पर इतना तो जरूर कहना चाहेंगे हम कि पूरे विश्व को जिस मिट्टी ने लोकतंत्र का पाठ पढाया वहां की एक निष्पक्ष विवेचना जरूर हो कि उस जगह पर अब लोकतंत्र की हालत कैसी है .... कहीं ऐसा तो नहीं कि हम लोकतंत्र गढ़ते तो जरूर हैं मगर उसकी देखभाल के लिए उसके नागरिकों में जिस जीवन्तता की जरूरत होती है वो कहीं ना कहीं खो जाती है...
आज दिन है उसी जोश को बनाये रखने का जब हमने प्रथम गणतंत्र गढा था ....
अशोक कुमार ओझा, बिहारशरीफ, बिहार
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