Tuesday, September 14, 2010

रोटी और संसद.... कवि धूमिल



http://www.youtube.com/watch?v=f6-n8PEt5Hk

एक आदमी रोटी बेलता है,

एक आदमी रोटी खाता है,

एक तीसरा आदमी भी है,

जो न रोटी बेलता है,

न रोटी खाता है,

वह सिर्फ रोटी से खेलता है।

मैं पूछता हूँ,

यह तीसरा आदमी कौन है,

मेरे देश की संसद मौन है.....

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